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मैं उसका अंश हूँ, बस यही पहचान है मेरी...

Friday 22 June 2012

व्यवस्था, माफ़िया और दलाल

देश भर में माफ़ियाओं और दलालों का दखल बढ़ता जा रहा है। माफ़ियाओं की लगातार बढ़ रहीं गतिविधियों को देख कर लगने लगा है कि जैसे देश माफ़िया ही चला रहे हैं। आम आदमी से संबंध रखने वाली और चर्चित सरकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों पर हावी दलाल और माफ़ियाओं की कारगुज़ारियों पर अधिकांश लोगों की नज़र रहती है। खुलासा होने पर कईं बार कार्रवाई भी हो जाती है, लेकिन कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां आम जनता सीधे प्रभावित नहीं हो रही है, इसीलिए माफ़ियाओं की कारगुज़ारियां चर्चा का प्रमुख केन्द्र नहीं बन पा रही हैं। खनन और आबकारी विभाग ऐसे ही क्षेत्र हैं, जहां सिर्फ माफ़ियाओं का राज चलता है। सरकार को अरबों-खरबों का चूना लग चुका है और लगातार लग रहा है, फिर भी सरकारें इस मुद्दे पर गंभीर नज़र नहीं आ रहीं। इन क्षेत्रों में सेटिंग के चलते माफ़िया बेताज बादशाह बन चुके हैं। खनन माफ़ियाओं से जुड़ी खबरें देश भर से आती रहती हैं। देश का एक भी कोना ऐसा नहीं है, जहां खनन माफ़ियाओं का दखल न हो। महाराष्ट्र हो या मध्य प्रदेश। कर्नाटक हो या आंध्र प्रदेश। बिहार हो या झारखंड। उत्तर प्रदेश हो या उत्तराखंड, हर जगह माफ़िया शासन-प्रशासन पर भारी नज़र आ रहे हैं। गंगा में होने वाले अवैध खनन को रोकने की मांग को लेकर हरिद्वार में अनशन पर बैठे स्वामी निगमानंद प्राणों की आहुति दे ही चुके हैं। पिछले दिनों फरीदाबाद में रेत ले जा रहे डंपर से पुलिस कांस्टेबल को रौंद कर मौत के घाट उतार दिया। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में अवैध खनन रोकने गये विभागीय अफसरों पर माफ़ियाओं ने हमला बोल दिया, इसी तरह उत्तर प्रदेश में जनपद बदायूं के कादरचौक थाना क्षेत्र में खनन विभाग के इंस्पेक्टर लालता प्रसाद को माफ़ियाओं ने दौड़ा लिया। ऐसी एक-दो नहीं, बल्कि अनगिनत वारदातें घट चुकी हैं और लगातार घट रही हैं, लेकिन सरकारें माफ़ियाओं पर नकेल कसने में आज भी विफल ही दिख रही हैं। रुहेलखंड क्षेत्र में गंगा, रामगंगा, महावा, गर्रा और खन्नौत आदि नदियां खनन माफ़ियाओं के प्रमुख निशाने पर हैं। रात-दिन दोहन का काम चल रहा है। माफ़ियाओं को पुलिस व प्रशासन का खुला संरक्षण प्राप्त है। खनन विभाग के अलावा संबंधित क्षेत्रों की पुलिस एवं उपजिलाधिकारियों का भी हिस्सा निश्चित रहता है, इसलिए सबके सब जान कर अंजान बने हुए हैं। कईं बार कार्रवाई होने की भी खबरें आती हैं, लेकिन कार्रवाई उन लोगों पर ही होती है, जो सेटिंग के बिना काम कर रहे होते हैं या फिर निजी उपयोग के लिए रेत निकाल रहे आम आदमी को फांस लिया जाता है। प्राकृतिक स्रोतों को आम आदमी आज भी मुफ्त ही माने बैठा है, इसलिए आम जनता की नजर में यह बेईमानी नहीं है, तभी जनता में यह सब चर्चा का विषय नहीं बन पा रहा है, लेकिन कानून के जानकार और संरक्षकों को तो पूरा ज्ञान है, पर वह निजी स्वार्थ के चलते उत्खनन की मौखिक अनुमति दिये हुए हैं, जिससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। इसी तरह नियमानुसार शराब के ठेके मंदिर-मस्जिद या किसी भी धार्मिक स्थल के आसपास नहीं बनाये जा सकते। शैक्षणिक संस्थानों और अस्पताल आदि के पास भी ठेके नहीं होने चाहिए, लेकिन रुहेलखंड क्षेत्र में ऐसे किसी नियम का पालन नहीं किया जा रहा है। शहर व गांवों में घनी बस्ती के बीच ठेके चल रहे हैं। धार्मिक स्थलों और शैक्षणिक संस्थानों के आसपास भी नजर आ रहे हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि पवित्र रामगंगा के तट पर अंग्रेज़ी और देशी शराब के ठेके खुले नज़र आ रहे हैं, पर कार्रवाई करना तो दूर की बात है, इस ओर किसी का ध्यान तक नहीं जा रहा। जनपद बदायूं में शराब के ठेके नियम विरुद्ध काठ और लोहे से बने खोखों में चल रहे है, इसी तरह मानक के विपरीत चल रहे शराब के ठेकों पर शराब खुलेआम ओवर रेट बिक रही है। माफ़िया नकली ब्रांड तैयार कर बेच रहे हैं और फ़र्ज़ी ब्रांड्स के मनमाने रेट वसूल रहे हैं। इतना ही नहीं, माफ़िया के गुर्गे जगह-जगह दबिश डालते नज़र आते हैं और सरकारी व्यक्तियों की तरह ही तानाशाही रवैया अपनाते हुए पुलिस जैसी कार्रवाई स्वयं ही करते दिख रहे हैं। पिछले दिनों जनपद बदायूं के कादरचौक थाना क्षेत्र के गांव धनूपुरा में दबिश के दौरान हुई फायरिंग में रिश्तेदारी में आया औरैया जिले का एक युवक घायल भी हो गया। इसकी जानकारी जिले के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को भी है, लेकिन भ्रष्टाचार और ऊंची राजनीतिक पहुंच के चलते सब मौन नज़र आ रहे हैं। प्रशासनिक उदासीनता के चलते जहां आम आदमी में कानून के प्रति विश्वास लगातार घट रहा है, वहीं माफ़ियाओं का हौसला और शक्ति लगातार बढ़ती जा रही है। उदासीनता का आलम यही रहा, तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी भयावह हो जायेगी। (उक्त रिपोर्ट गौतम संदेश में प्रकाशित हो चुकी है)