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मैं उसका अंश हूँ, बस यही पहचान है मेरी...

Thursday 27 September 2012

धड़कन को दूर जाने के लिए मैंने ही मजबूर कर दिया

मीडिया और ईर्ष्यालुओं के साथ मैंने स्वयं भी अपनी पत्नी चिदर्पिता गौतम की फजीहत करने में कोई कसर बाक़ी नहीं छोडी है, आक्रोश के कारण मैं फजीहत करने के लिए स्वयं को दोषी नहीं मान रहा था, मुझे गुस्से में लग रहा था कि मुझे यही करना चाहिए, जबकि मुझे नाराज होने का भी अधिकार नहीं था, क्योंकि गलती मेरी थी, दुर्व्यवहार मैंने किया था, मेरे दुर्व्यव्हाए से आहत होकर वह मुझसे अलग रहने का निर्णय लेने को इसलिए विवश हुई कि मैंने उसके सामने अपनी गलती की क्षमा मांगना तो दूर पति वाले अधिकार से मनाया तक नहीं, गलती मेरी थी और मैं ही उस पर लगातार शब्दों के तीखे बाण भी भी चला रहा था, मुझे अब अपनी गलतियों का अहसास हो गया है, गलती भी एक-दो नहीं, बल्कि गलती पर गलती की है, सब से पहले दुर्व्यवहार किया, उसके बाद क्षमा मांगने की बजाये, स्वयं ही नाराजगी भी जताने लगा, उसने इतने पर भी कुछ नहीं किया और मैं शब्दों से लगातार आक्रमण भी करता रहा, पूरे प्रकरण में मैं ही दोषी हूँ, लेकिन औरों को कारण समझते हुए स्वयं को निर्दोष समझने के भ्रम में ही था, इसलिए सबसे पहले लिखित में इस ब्लॉग के माध्यम से मैं अपनी पत्नी चिदर्पिता गौतम से समस्त गलतियों के लिए क्षमा माँगता हूँ, उसने मेरे लिए अपना सब कुछ त्याग दिया और मैंने उसे बदले में जो दिया है, उसे क्षमा देने से भी सही नहीं किया जा सकता, पिछली गलतियों से सबक लेकर पश्चाताप करना चाहिए और मैं वही करूंगा, अपने अहंकार में मैं भूल गया था कि वो मेरी मुस्कान देख कर जीती है, पर मैं उसे हर दिन हल्की सी मुस्कान नहीं दे पाया, वह प्रेम में सब कुछ भूल बैठी थी, उसने जीवन में कभी भी जो काम नहीं किये, वह सब खुशी-खुशी बच्चे की तरह चहकते हुए करती थी, उसने घर-परिवार का छोटा से छोटा काम सीखा, स्वयं जो नहीं आता था, वो भी औरों से फोन कर के पूंछती और बहुत जल्द पारंगत हो जाती, इस सब पर और प्यार जताने की बजाये, गर्व करने की बजाये मैं उसे बधाई तक नहीं दे रहा था, नज़र अंदाज़ कर देता, वो तो भी खुश रहती, पर मैं पत्नी या प्रेमिका के साथ स्त्री भी नहीं मान रहा था, मैं उसे सिर्फ एक काम करने वाली मशीन ही समझने लगा, जो बिल्कुल भी ठीक नहीं था, मैंने उस पर यह भी आरोप लगाया वह मधुमिता से ईर्ष्या करती है, जबकि वह अपने हृदय की हर-छोटी बड़ी बात अगर किसी से शेयर करती है, तो उसकी वो सहेली मधुमिता ही है, असलियत में रिश्ते संभालने की अक्ल मुझे ही नहीं है, तभी मेरी साँसे, मेरी धड़कन मुझसे जाने को मजबूर हो गईं, ईश्वर ने मुझे अवसर दिया, तो इस बार जिन्दगी को जिन्दगी की तरह ही जीने का प्रयास करूंगा, यही होगा मेरा असली पश्चाताप