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मैं उसका अंश हूँ, बस यही पहचान है मेरी...

Tuesday 12 March 2013

वाकई, आज भी सर्वश्रेष्ठ न्यायाधीश है ईश्वर



उत्तर प्रदेश के जनपद बदायूं में पश्चिमी छोर पर स्थित थाना इस्लामनगर क्षेत्र के कस्बानुमा गाँव नूरपुर पिनौनी में वर्ष 1999 में एक ऐसी घटना सामने आई, जिसके बारे में जान कर अधिकांश लोग स्तब्ध रह गये जिस व्यक्ति का अधिकाँश लोग सम्मान करते थे, उस व्यक्ति के साथ उसके पूरे परिवार से अधिकाँश लोग अचानक किनारा कर गये
एक ब्राह्मण परिवार को गाँव और क्षेत्र का हर जाति, हर धर्म का व्यक्ति विशेष सम्मान देता था। समस्त विशिष्ट परिवारों में पूजा-पाठ, हवन-होम, विवाह या जन्म के समय होने वाली परंपरागत क्रियाएं इसी परिवार के विद्वान् से कराई जाती थीं। सब कुछ सही चल रहा था, लेकिन एक दिन इस परिवार के बच्चों का पड़ोसी के बच्चों से झगड़ा हो गया, जिसमें सम्मानित ब्राह्मण परिवार का युवा पुत्र भी उलझ गया। हालांकि पड़ोसी परिवार भी ब्राह्मण ही था, लेकिन उनका मूल कार्य कृषि था। सम्मानित ब्राह्मण परिवार की तुलना में दूसरे परिवार का सम्मान इसलिए कम था कि दूसरा परिवार श्रोतिय वंश का ब्राह्मण था, जबकि सम्मानित परिवार उपाध्याय वंश का था, जिसकी संख्या गाँव में सर्वाधिक है, जिससे उपाध्याय आपस में एक-दूसरे को अधिक सम्मान देते रहे हैं, वहीं अन्य वंश के ब्राह्मणों का अपमान भी करते रहे हैं। बच्चों के विवाद में पड़े सम्मानित ब्राह्मण परिवार के युवा ने मामूली झगड़े को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया और वह दूसरे परिवार को तबाह करने की योजना बनाने लगा। बताते हैं कि मुरादाबाद के किसी तांत्रिक से मिलकर उसने किसी शमशान में घनघोर मेहनत कर कुछ ही दिनों में तांत्रिक विद्या सीख ली।
उधर दूसरे ब्राह्मण परिवार की तीन जवान बेटियों के पेट में अचानक तेज़ दर्द होने लगा। तत्काल स्थानीय डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने दवा दी, पर कुछ असर नहीं हुआ। तीनों लड़कियों को बड़े शहर में दिखाया गया। तमाम जांचों के बाद भी डॉक्टर की समझ में कुछ नहीं आया। तीनों लड़कियों के पेट में अचानक तेज़ दर्द उठता और लगभग आधा-एक घंटे वह बुरी तरह से चीखतीं और अचानक ठीक हो जातीं। उनकी चीखों से पूरा मोहल्ला दुखी था, पर किसी की समझ में कुछ नहीं आ रहा था और न कोई कुछ करने की स्थिति में था। कुछ लोगों की सलाह पर उस परिवार ने डॉक्टर की जगह लड़कियों को तांत्रिकों को दिखाना शुरू कर दिया। आसपास के जितने भी मंदिर वगैरह थे, सभी जगह जाकर पूजा-अर्चना के साथ प्रसाद चढ़ाने का क्रम शुरू हो गया, पर पूरी तरह से दर्द से छुटकारा नहीं मिला अब प्रतिदिन की जगह एक-दो दिन के अंतराल पर दर्द होने लगा था, जिससे परिवार की चिंताएं बरकरार थीं अच्छी-भली लड़कियों का जीवन तबाह हो चुका था पढ़ने में तीनों होशियार थीं इस दर्द का असर पढ़ाई पर भी पड़ा रिश्तेदारी में जाना पूरी तरह बंद था लड़कियां तो खुद भोग रही थीं, इसलिए उनका परेशान होना स्वाभाविक था, उनके साथ पूरे परिवार का खाना-पीना हराम हो चुका था इसी बीच एक तांत्रिक ने बताया कि लड़कियों पर किसी ने तन्त्र विद्या से कुछ किया है, जिससे उन्हें यह दर्द होता है दुखी परिवार ने तांत्रिक विद्या का तांत्रिक तोड़ खोजना शुरू कर दिया, लेकिन दर्द से राहत कोई नहीं दिला पाया परेशान परिवार पूजा-अर्चना करते-करते प्रसिद्द बालाजी दरबार तक जा पहुंचा वहां के महंत ने वर्ष में दो बार दरबार आने और मकान पर ध्वज फहराने की सलाह दी बालाजी दरबार से पूजा-अर्चना कर लौटने के बाद इस परिवार ने अपने मकान पर ध्वज भी फहरा दिया लड़कियों के पेट में अचानक उठने वाला दर्द स्तब्ध कर देने वाली घटना थी, वैसे ही दर्द के अचानक गायब हो जाने से भी सभी स्तब्ध थे उन लड़कियों में दो का विवाह हो चुका है यह परिवार आज बालाजी का भक्त है और आनंदमय है
समय का पहिया अपनी गति से चलता रहा। सम्मानित ब्राह्मण परिवार के मुखिया की हार्टअटैक से अचानक मृत्यु हो गई। उनका बड़ा बेटा पुलिस में था। एक दिन उसकी भी हार्टअटैक से मृत्यु होने की खबर आई। अब परिवार का भार उसी युवा पर था, जो बच्चों के विवाद में पड़ोसी से उलझ गया था। सब कुछ सही करने का प्रयास कर रहा था, लेकिन कोई उससे अपने घर पूजा-अर्चना कराने को तैयार नहीं था। जमीन उतनी थी नहीं, जिसके सहारे परिवार का भरण-पोषण हो जाता, इसलिए आर्थिक संकट आना स्वाभाविक ही था। समाज में सम्मान मिलना बंद हो गया एवं खुद के अंदर उपजा ग्लानी का भाव भी परेशान किये हुए था, सो पूरा परिवार समाज से ही दूर हो गया।
समय के साथ सम्मानित परिवार के एकमात्र युवा के बच्चे भी जवान हो गये। गुजरे दिसंबर में बड़ी बेटी का विवाह हो गया, पर बड़ी बेटी की विदा के समय ही छोटी बेटी अपने प्रेमी के साथ फरार हो गई। विदा के बाद परिवार होश खो बैठता है, लेकिन यह परिवार छोटी बेटी की खोजबीन में जुट गया। मुकदमा लिखा गया, पर तमाम प्रयासों के बावजूद लड़की नहीं मिली। इस बीच प्रेमी-प्रेमिका ने मुरादाबाद में रजिस्टर्ड मैरिज कर ली और 10 मार्च 2013 को पुलिस के सामने आ गये। कल 11 मार्च को लड़का जेल जाने के लिए और लड़की मेडिकल परीक्षण के लिए मुख्यालय लाये गये, तभी लड़के पर हमला कर दिया गया। उन तीनों लड़कियों पर तन्त्र विद्या का प्रयोग करने वाला व्यक्ति पुलिस की गिरफ्त में है। छोटी बेटी के प्रेमी (पति) पर पुलिस कस्टडी में हमला करने के आरोप में वह जेल भी जा सकता है। खैर, समाज में कभी-कभार घटित होने वाली ऐसी घटनाओं को देख कर ईश्वर के प्रति आस्था-श्रृद्धा का भाव और बढ़ जाता है।