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Thursday 15 December 2011

काले धन के सवाल पर सोनिया चुप क्यूं हैं?

विदेशों में जमा काले धन का मुद्दा बेहद गंभीर है। बोफोर्स कांड के बाद से तो चर्चा में लगातार बना ही रहता है, लेकिन सरकार की भूमिका हमेशा ही इस मुद्दे को टालने के पक्ष में रही है। सरकार की लापरवाही का प्रमुख कारण यही है कि सरकार से जुड़े अधिकांश लोगों का ही धन विदेशों में जमा है, पर विपक्ष भी कभी इस मुद्दे पर गंभीर नहीं रहा है, क्योंकि विपक्ष में रहने वाले राजनेता भी पूर्ण रूप से दूध के धुले नहीं हैं, इसलिए वे भी स्वहित के चलते काले धन को प्रमुख मुद्दा नहीं बनने देते, तभी पक्ष-विपक्ष के काले धन वाले राजनेता देश को लगातार मूर्ख बनाते आ रहे हैं, पर काले धन के मुद्दे पर देश के अधिकांश नागरिकों की नजरें लगातार टिकी हुई हैं और सभी चाहते हैं कि खुलासा होना ही चाहिए। हालांकि अब मीडिया भी पहले से अधिक शक्तिशाली हो गया है, जो लगातार दबाव बनाये हुए है, साथ में सुप्रीम कोर्ट भी सख्त रुख अपनाता रहता है, इसलिए कहा जा सकता है कि इस बार सभी प्रमुख लोगों के नाम या उनके धन के बारे में जानकारी सार्वजनिक भले ही न हो, पर नागरिकों को संतुष्ट करने के लिए कुछ लोगों के नाम तो सार्वजनिक करने ही पड़ेंगे। खैर, सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतना हंगामा और फजीहत होने के बावजूद सत्ताधारी मूक क्यूं हो जाते हैं या सरकार काले धन वालों का एक तरह से बचाव करती नजर क्यूं आती है या तर्क पूर्ण जवाब क्यूं नहीं दे पाती? ऐसे अन्य कई सवाल और भी हैं, जिनका उत्तर किसी कांग्रेसी के पास नहीं हैं या वह जवाब देने में असमर्थ हैं, क्योंकि लगातार यह भी आरोप लगते रहे हैं कि सोनिया गांधी या राहुल गांधी की बड़ी धनराशि विदेश में जमा है, तभी कांग्रेस या कांग्रेस नेतृत्व में बनी सरकारों ने काले धन के मुद्दे पर कभी गंभीरता नहीं दिखाई।
आश्चर्य की बात यह भी है कि आरोप लगने के बाद सोनिया गांधी ने कभी आरोपों को खुलेआम नकारा भी नहीं हैं और इससे भी बड़ी आश्चर्य की बात यह भी है कि देश की किसी एजेंसी द्वारा सोनिया गांधी के विरुद्ध आरोप लगने के बावजूद काले धन की जांच भी नहीं की गयी, जबकि आरोपों की सच्चाई का पता लगाने के लिए विधिवत जांच होनी ही चाहिए, क्योंकि यह मामला देश के काले धन के साथ प्रतिष्ठित परिवार की साख से भी जुड़ा है।
आम आदमी की बात की जाये, तो देश के अधिकांश लोगों को जानकारी नहीं है कि बोफोर्स कांड के बाद स्विस की एक प्रतिष्ठित पत्रिका ने दावा किया था कि रूस के साथ हुए सौदे में राजीव गांधी को एकमुश्त बड़ी रकम मिली है, जिसे राजीव गांधी ने स्विस बैंक में खाता खुलवा कर जमा कर दिया है। इसके अलावा रूस की एक खुफिया एजेंसी के दस्तावेजों में भी यह स्पष्ट तौर पर लिखा है कि राजीव गांधी ने एक बड़ी रकम ली, जिसे स्विस बैंक में जमा करा दिया गया है और उस खाते का संचालन उनकी विधवा पत्नी सोनिया गांधी अपने पुत्र के साथ संचालित करती हैं। यह दोनों आरोप कागजी सुबूतों के आधार पर विदेश की पत्रिका और विदेश की खुफिया एजेंसी द्वारा लगाये गये हैं। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के प्रतिष्ठित वकील व पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामजेठ मलानी भी सोनिया गांधी पर विदेश में काला धन जमा होने के आरोप लगाते रहे हैं, साथ ही उनकी देवरानी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री, सांसद व भाजपा नेता मेनका गांधी भी इसी आरोप को दोहरा चुकी हैं, पर सोनिया गांधी या राहुल गांधी ने एक बार भी आरोपों का खंडन नहीं किया है, जिससे साफ हो जाता है कि सवाल-जवाब के फेर में फंस कर सोनिया गांधी इस मुद्दे को चर्चा का केन्द्र नहीं बनने देना चाहतीं, तभी किसी के आरोप के जवाब में वह कभी कुछ नहीं कहतीं। सोनिया-राहुल के रुख से साफ हो रहा है कि आरोप तथ्य पूर्ण हैं, जिनकी उच्च स्तरीय जांच होने के साथ काला धन देश में लाने के प्रयास भी गंभीरता से होते रहने चाहिए, क्योंकि एक बार इस परिवार का धन देश में आ गया या धन का खुलासा हो गया, तो बाकी लोगों के नाम का खुलासा करना, किसी भी सरकार के लिए कठिन कार्य नहीं होगा।
सोनिया गांधी के विदेश में जमा काले धन को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है, पर स्विस पत्रिका व रूसी खुफिया एजेंसी के आरोपों के आधार पर ही काले धन को लेकर अनुमान है कि वर्तमान में यह धनराशि नब्बे हजार करोड़ रुपये के करीब हो सकती है, क्योंकि स्विस बैंक अपने खाताधारकों के धन का निवेश करता है, जिससे धन लगातार बढ़ता रहता है, इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि यह धन अगर अमेरिका में लंबी अवधि के लिए निवेश किया गया होगा, तो अब तक कई गुना बढ़ गया होगा। उधर सरकार की लापरवाही का एक और उदाहरण सामने आ चुका है। काले धन के मुद्दे के पर सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि कड़ाई के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 26 लोगों की सूची जमा की थी, उसमें सोनिया गांधी का नाम नहीं है, जिससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि काला धन लाने के लिए या ऐसे धन कुबेरों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए सरकार कितनी प्रतिबद्ध है?, पर अब देश का आम आदमी काला धन स्वामियों के साथ सोनिया गांधी के बारे में प्रमुख व स्पष्ट रूप से जवाब चाहता है, जो सरकार को देना ही होगा। वैसे अच्छा तो यही रहेगा कि मीडिया के सामने आकर काले धन के मुद्दे पर सोनिया गांधी स्वयं जवाब दें और आरोपों के बारे में अपना पक्ष रखें, वरना आज न सही, पर एक दिन जनता के सामने सच आ ही जायेगा।