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मैं उसका अंश हूँ, बस यही पहचान है मेरी...

Friday, 16 December 2011

मूक दर्शक बने रहे तो दरिंदे से बड़े अपराधी आप होंगे

समाज में हर दिन कुछ न कुछ नया घटित होता ही रहता है, पर घटनाओं के इस क्रम में कभी-कभी ऐसा सच प्रकाश में आता है, जिस पर सहजता से विश्वास नहीं हो पाता। पूर्ण सत्य होने के बावजूद दिल और दिमाग उस सच को स्वीकार करने को तैयार ही नहीं होते और जब तैयार होते हैं, तो मनुष्य के सर्व श्रेष्ठ प्राणी होने पर प्रश्र चिन्ह भी लग जाता है।
जनपद बदायूं के कस्बा इस्लामनगर में स्थित एक परिवार दशकों से प्राचीन परंपरा और संस्कृति के वाहक एक हिंदूवादी संगठन से जुड़ा है। इस परिवार के एक बुजुर्ग का देश के शीर्ष नेताओं के साथ उठना-बैठना रहा है। इस बुजुर्ग के एक पुत्र है, जो जनपद बदायूं के ही एक इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य पद से कुछ माह पहले ही सेवा निवृत हुआ है। बुजुर्ग पिता की एक राजनीतिक दल के शीर्ष नेताओं से नजदीकी मित्रता रही ही है। मित्रता के चलते बुजुर्ग ने प्रधानाचार्य पुत्र को टिकट दिला दिया। धार्मिक आस्था की लहर में यह पुत्र प्रधानाचार्य से विधायक बन गया था, पर पुन: नहीं जीत पाया। इस बार फिर जनपद के ही एक विधान सभा क्षेत्र से टिकट मांग रहा है। टिकट मिलना लगभग निश्चित ही है। खैर, विषय यह नहीं है कि टिकट मिलेगा या नहीं अथवा टिकट मिलने के बाद जीतेगा या हारेगा, जो भी हो, उससे कोई लेना-देना ही नहीं है। परिचय की दृष्टि से इतना सब बताना आवश्यक था, इसलिए बताया।
मूल बात यह है कि बुजुर्ग पिता के पास किशोर व युवाओं ने दशकों पहले से ही जाना बंद कर दिया है, क्योंकि यह बुजुर्ग उनके साथ अश्लील हरकतें करता है। जबरन अप्राकृतिक कृत्य करता है, जिसको लेकर कई बार फजीहत हो चुकी है। इस बुजुर्ग की छवि इतनी खराब हो चुकी है कि किशोर या युवा किसी कीमत पर इसके पास तक नहीं फटकते और बुलाने पर भी नहीं आते, साथ ही सडक़ किनारे बनी बैठक पर बैठा हो तो मुंह फेर कर किसी तरह निकल जाते हैं, पर इस बुजुर्ग के अपने कुछ परंपरागत शिकार हैं, जिन्हें खिला-पिला कर अपना काम चलाता रहता है। इससे भी बड़ी स्तब्ध करने वाली बात यह है कि पिता का यह अमूल्य गुण पुत्र में भी आ गया है। प्रधानाचार्य पद पर रहते हुए इस पुत्र ने इंटर कॉलेज में ही दुसरी मंजिल पर अपने रहने के लिए बेहतरीन आवास बना लिया था। इस आवास में यह अक्सर ठहरता था और देर रात में चुनिंदा छात्रों को टिप्स देने के लिए बुलाता था। गुरू समझ कर जो छात्र श्रद्धा पूर्वक इससे टिप्स लेने आते थे, उनके साथ यह भी अश्लील हरकतें करता था, तो कई छात्रों ने टिप्स लेने बंद कर दिये, तो कई छात्र कॉलेज से ही नाम कटा गये। कईयों ने इसकी हरकतों का खुलासा भी कर दिया, लेकिन दबंगई के चलते उन लडक़ों की किसी ने नहीं सुनी। दो साल पहले कक्षा सात के एक लडक़े के साथ बलात्कार की घटना प्रकाश में आई तो उसके पिता ने कोतवाली बिसौली में तहरीर भी दी, पर इस मामले को भी दबा दिया गया, तभी इसका हौसला और शौक बढ़ता ही चला गया।
ताजा घटना क्रम यह है कि पिछले सप्ताह कस्बा इस्लामनगर के मोहल्ला चौक निवासी एक टैक्सी ड्राईवर रात में मालिक के घर टैक्सी खड़ी कर दस बजे के करीब पैदल अपने घर जा रहा था। रास्ते में एक ज्यारत पड़ती है, इस ज्यारत में यह पूर्व विधायक एक किशोर के साथ काम क्रियारत था। राह चलते टैक्सी ड्राईवर ने दृश्य देख लिया, पर अनदेखा कर आगे बढ़ गया। काम क्रियारत पूर्व विधायक ने भी टैक्सी ड्राईवर को देख लिया और अपने खानदान के लडक़ों से आकर कह दिया कि अमुक टैक्सी ड्राईवर ने बेवजह उसे गालियां दीं। खानदान के दर्जनों लडक़ों ने टैक्सी ड्राईवर को सूनसान जगह ले जाकर डंडों, बैल्टों और घूंसों से बेरहमी से पीटने के बाद कड़ी चेतावनी देकर छोड़ दिया। पीडि़त टैक्सी ड्राईवर ने थाना इस्लामनगर में तहरीर देकर अपनी व्यथा थानाध्यक्ष को सुनाई तो व्यक्तिगत तौर पर थानाध्यक्ष स्तब्ध रह गये और उसकी हालत देख कर दु:खी भी हुए, पर कार्रवाई करने के नाम पर उनके हाथ नहीं चले। पीडि़त टैक्सी ड्राईवर गिड़गिड़ाया तो उसकी एनसीआर दर्ज कर मेडीकल परीक्षण के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। मेडीकल परीक्षण के बाद वह अपनी आंखों का इलाज करा रहा है। उसकी हालत देख कर लगता है कि आंखों की रोशनी जा भी सकती है, पर पुलिस को उसकी दशा पर रहम नहीं आ रहा है।
इस घटना में कार्रवाई के नाम पर जो होगा, सो होगा। सवाल यह है कि सेक्स को लेकर आदमी इतना गिर सकता है क्या? अगर हां, तो फिर क्या वह मनुष्य कहलाने का अधिकारी बचता है? और अगर नहीं, तो फिर यह समाज ऐसे मानसिक विकृति वाले व्यक्तियों को समाज में रहने क्यूं देता है, सम्मान क्यूं देता है? इतना ही नहीं, अपना प्रतिनिधि क्यूं चुन देता है? ... ऐसे मानसिक विकृति वाले लोगों से कानून नहीं बचा सकता। समाज हर किसी के बारे में सब जानता है, लेकिन मूक दर्शक बना रहता है, तभी ऐसे दरिंदे दो-दो, तीन-तीन साल के बच्चों को भी नहीं छोड़ते। आपके आसपास भी ऐसा दरिंदा हो सकता है। चिन्हित कर उसका बहिष्कार करिये, वरना आपके बच्चे भी ऐसे भेडिय़ों का शिकार हो सकते हैं, तब आंसू बहाने से कुछ नहीं होगा, क्योंकि उस बच्चे की जिंदगी बर्बाद करने के दोषी दरिंदा कम, आप अधिक होंगे।