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Sunday, 15 January 2012

दो सीटिंग विधायकों के साथ कई पूर्व विधायक भी हैं आमने-सामने

राजनीति के खेल में जनता के साथ अप्रत्याशित घटनायें होती ही रहती हैं, पर परिसीमन ने कई राजनेताओं का ही खेल बिगाड़ दिया है। परिसीमन के कारण जनपद बदायूं के शहर विधान सभा क्षेत्र से दो मौजूदा विधायक आमने-सामने आ गये हैं, जिससे एक का विधायक न रहना निश्चित है। फिलहाल दोनों ही मौजूदा विधायक अपनी जीत को लेकर आशान्वित दिख रहे हैं।
जनपद बदायूं में आठ विधान सभा क्षेत्र थे, पर परिसीमन के बाद बिनावर विधान सभा क्षेत्र पूरी तरह समाप्त हो गया। यहां से मौजूदा विधायक रामसेवक सिंह पटेल हैं, जो चार बार विधायक रह चुके हैं। क्षेत्र की जनता के बीच गहरी पकड़ मानी जाती है। भाजपा से टिकट न मिलने के कारण पिछली बार उमा भारती की जनशक्ति पार्टी से जीते थे और उत्तर प्रदेश में पार्टी के एक मात्र विधायक होने के कारण सरकार बनने पर बसपा में शामिल हो गये थे। बिनावर विधान सभा क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा शहर विधान सभा क्षेत्र में समायोजित हो गया है, जिससे बसपा ने शहर क्षेत्र से टिकट देने की घोषणा कर दी है। शहर की सीट पर भाजपा के विधायक महेश गुप्ता का कब्जा था। भाजपा ने पुन: महेश गुप्ता को ही टिकट दिया है, जिससे रामसेवक सिंह पटेल और महेश गुप्ता आमने-सामने आ गये हैं। महेश गुप्ता की छवि बेहद उदार मानी जाती है। सहसवान विधान सभा क्षेत्र से एक बार सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के सामने भी चुनाव लड़ चुके हैं। हार के बावजूद सम्मान बचाने में कामयाब रहे थे, जिससे पार्टी में भी अच्छी पकड़ है। फिलहाल रामसेवक सिंह पटेल और महेश गुप्ता दोनों ही अपनी-अपनी जीत को लेकर आशान्वित नजर आ रहे हैं, पर एक का हारना निश्चित ही है। इसी तरह बिनावर विधान सभा क्षेत्र से ही विधायक रह चुके भूपेन्द्र सिंह दददा भी शहर विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे का मन बना रहे हैं। सूत्र बता रहे हैं कि उनकी कई दलों में बात चल रही है। उन्हें किसी दल से टिकट मिला तो वह भी मौजूदा विधायकों का खेल बिगाडऩे में कसर नहीं छोड़ेंगे।
परिसीमन के कारण उसहैत विधान सभा क्षेत्र भी समाप्त हो गया है, लेकिन उसकी जगह शेखूपुर नाम का एक और क्षेत्र अस्तित्व में आ गया है। यहां से भी पूर्व राज्यमंत्री भगवान सिंह शाक्य कांग्रेस के टिकट पर लड़ रहे हैं, वहीं पूर्व विधायक आशीष यादव को सपा ने उतारा है एवं बसपा से टिकट कटने के कारण निवर्तमान विधायक मुस्लिम खां भी चुनाव लडऩे का ऐलान कर चुके हैं। दातागंज विधान सभा क्षेत्र से भी सपा ने पुन: पूर्व विधायक प्रेमपाल सिंह यादव को मैदान में उतारा है, वहीं बसपा से निवर्तमान विधायक सिनोद कुमार शाक्य भाग्य आजमा रहे हैं। सहसवान विधान सभा क्षेत्र में भी कई पूर्व विधायक मैदान में हैं। बसपा से टिकट न मिलने के कारण निवर्तमान विधायक डीपी यादव चुनाव लडऩे का ऐलान कर ही चुके हैं। सपा ने पूर्व विधायक ओमकार सिंह को प्रत्याशी बनाया है, वहीं बिसौली सुरक्षित सीट होने के कारण कई बार विधायक रह चुके योगेन्द्र कुमार गर्ग उर्फ कुन्नू बाबू को कांग्रेस ने सहसवान से ही टिकट दिया है, जिससे सहसवान क्षेत्र से तीन पूर्व विधायक आमने-सामने होंगे। बिल्सी विधान सभा क्षेत्र परिसीमन के बाद सामान्य हुआ है। यहां सभी दलों के नये प्रत्याशी हैं, जो पहली बार विधायक चुने जायेंगे। बिसौली विधान सभा क्षेत्र पहली बार सुरक्षित हुई है, पर बिल्सी से विधायक रह चुके आशुतोष मौर्य को सपा ने बिसौली से टिकट दिया है व बिल्सी के निवर्तमान विधायक योगेन्द्र सागर भी टिकट की जुगत में लगे हुए हैं। वह टिकट पाने में सफल रहे तो यहां भी दो पूर्व विधायक आमने-सामने होंगे।
मुलायम सिंह यादव के कारण चर्चा में आ चुका गुन्नौर विधान सभा क्षेत्र को नव सृजित जनपद भीमनगर का हिस्सा हो गया है, पर इस बार समस्त चुनावी प्रक्रिया बदायूं से संचालित हो रही है। यहां से सपा ने पूर्व विधायक रामखिलाड़ी सिंह यादव को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने पूर्व विधायक अजीत कुमार सिंह उर्फ राजू को टिकट दिया है व जद यू ने पूर्व विधायक राजेश यादव को मैदान में उतारने का ऐलान कर दिया है। कुल मिला कर यहां भी कई दिग्गज आमने-सामने होंगे, पर सेहरा किसी एक के सिर ही बंधेगा।


चार निवर्तमान सांसद आ गये थे आमने-सामने
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पिछले लोकसभा चुनाव में भी ऐसे हालात बने थे। बदायूं लोकसभा क्षेत्र से निवर्तमान सांसद सलीम इकबाल शेरवानी को सपा ने टिकट नहीं दिया तो वह कांग्रेस के टिकट पर लड़े एवं सपा से इटावा के सांसद धर्मेन्द्र यादव लड़ रहे थे और जीत का सेहरा भी उन्हीं के सिर बंधा। इसी तरह आंवला लोकसभा क्षेत्र से निवर्तमान सांसद कुंवर सर्वराज सिंह को बसपा ने टिकट दिया था और भाजपा ने पीलीभीत की सांसद मेनका गांधी को मैदान में उतार दिया था। यहां से मेनका को जीत मिली थी।