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Monday 16 January 2012

बसपा ने बलात्कार के आरोपी की पत्नी को दिया टिकट

ज्योति शर्मा उर्फ शालू। रूचिका गिरहोत्रा या शिवानी भटनागर जैसी ही इसकी कहानी है। इन जैसी ही नहीं, बल्कि इसकी दास्तां इन दोनों से ज्यादा दर्दनाक व भयावह है, क्योंकि इसका गुनहगार योगेन्द्र सागर मुख्यमंत्री मायावती का स्वजातीय विधायक होने के कारण पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर या डीआईजी आरके शर्मा से भी ज्यादा ताकतवर है। इसी लिए बसपा शासन में ज्योति के लिए शासन-प्रशासन के दरबाजे पूरी तरह बंद हो चुके थे और ज्योति की दर्दनाक आवाज ऊंचे पदों पर बैठे लोगों के कानों के पर्दे नहीं फाड़ पाई, फिर भी उसने हार नहीं मानी। वह न्याय की लड़ाई आज भी लड़ रही है। न्याय पाने को फडफ़ड़ा रही अभागिन ज्योति बदायूं जिले के कस्बा बिल्सी की रहने वाली है। वर्ष 2००8 में वह बीए की छात्रा थी। 23 अप्रैल की दोपहर में वह अपने घर से सहेली के घर नोटस लेने के लिए निकली थी, पर शाम तक नहीं लौटी तो परिजनों ने उसके बारे में सहेली के घर पूंछताछ की। पता चला कि ज्योति तो सहेली के घर पहुंची ही नहीं है। यह जानकर परिजनों के होश उड़ गये। ज्योति के पिता कुलदीप किशोर शर्मा ने बिल्सी थाना पुलिस को ज्योति के गायब होने की सूचना दी, पर पुलिस ने न शिकायत दर्ज की और न ही ज्योति को ढूंढऩे का उचित आश्वासन दिया। बुजुर्ग कुलदीप किशोर शर्मा अगले दिन जिले के उच्चाधिकारियों से भी मिले, पर किसी से कोई मदद नहीं मिली। घटना के करीब सात दिन बाद उस समय बरेली रेंज के आईजी जावीद अहमद बदायूं आये तो उन्होंने पत्रकारों के साथ एक बैठक रखी। वार्ता के दौरान पत्रकारों ने आईजी को ज्योति के गायब होने की घटना से अवगत कराया और बिल्सी थाना पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किये तो आईजी ने मुकदमा दर्ज करा दिया, पर मुकदमे में बिल्सी विधान सभा क्षेत्र के बसपा विधायक योगेन्द्र सागर का नाम पुलिस ने नहीं लिखा। मुकदमा आरोपी विधायक के रिश्तेदार व प्रतिनिधि तेजेन्द्र सागर और उसके एक दोस्त के खिलाफ ही दर्ज किया गया। पुलिस ने इन दोनों के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की। सत्तापक्ष व विधायक के करीबी होने के कारण दोनों नामजद आरोपी खुलेआम घूमते रहे और पीडि़त परिवार को ही धमकाते रहे। इस बीच आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाये पुलिस ने एक कहानी गढ़ी कि ज्योति एक मुस्लिम युवक के साथ भाग गयी थी। यह कहते हुए पुलिस ने नामजदों के खिलाफ कार्रवाई करने से मना कर दिया, पर वह मुस्लिम युवक कौन था और कहां का था? इस का जवाब पुलिस आज तक नहीं दे पायी है। पुलिस द्वारा खुलेआम किये जा रहे इस पक्षपात से जनता भडक़ उठी और पूरे जिले में आंदोलन, चक्का जाम और पुतला दहन का दौर शुरु हो गया। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाये पुलिस प्रदर्शनकारियों पर ही मुकदमे ठोंकने लगी। दो दर्जन से अधिक लोगों पर विभिन्न थाना क्षेत्रों में मुकदमे लिखा दिये गये। जनता डरने की बजाये और ज्यादा भडक़ गयी। हर जाति और हर धर्म के लोग ज्योति की बरामदगी व आरोपी विधायक व साथियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने लगे तो शासन ने मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी। आश्चर्य की बात तो यह है कि जो सीबीसीआईडी जांच करने में महीनों ही नहीं, बल्कि सालों लगा देती है, लेकिन इस मामले में कुछ ही हफ्तों में जांच पूरी कर ली गयी और लखनऊ से बयान आया कि आरोपी विधायक योगेन्द्र सागर निर्दोष है, जबकि पीडि़त लडक़ी लगातार विधायक के खिलाफ बयान देती रही, उधर पुलिस ने दबाव में ज्योति को जनपद मुजफ्फनगर के रेलवे स्टेशन से बरामद दिखा दिया। पुलिस ने बताया कि 16/17 मई 2००8 की रात में स्टेशन पर अकेली खड़ी थी। बरामदगी के बाद पुलिस ने ज्योति को किसी से नहीं मिलने दिया। जिला मुख्यालय लाने की बजाये कस्बा उझानी के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर ज्योति का मेडीकल परीक्षण कराया गया, क्योंकि वहां परीक्षण करने वाली डाक्टर आरोपी विधायक की रिश्तेदार तैनात थी। इसी लिए ज्योति की मेडीकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई। हजारों लोगों की मौजूदगी के कारण विशेष सुरक्षा व्यवस्था के बीच ज्योति को अगले दिन अदालत में पेश किया गया तो लोग ज्योति की दशा देख कर हैरान रह गये। न वह सही से देख पा रही थी, न चल पा रही थी और न ही ठीक से बोल पा रही थी। अदालत में भी वकील व जज सवाल कुछ रहे थे और ज्योति जवाब कुछ दे रही थी। आरोपी पक्ष ज्योति को विक्षिप्त करार देने पर तुला हुआ था। ज्योति किसके पास रहेगी? यह निर्णय न होने के कारण ज्योति को बरेली स्थित नारी निकेतन भेज दिया गया। नारी निकेतन में भी ज्योति को परिजनों से नहीं मिलने दिया गया, जबकि विधायक पक्ष के लोग उसे लगातार धमकाते रहे। बाद में अदालत के आदेश पर पुलिस ने ज्योति को उसके पिता कुलदीप किशोर शर्मा के हवाले कर दिया, तब ज्योति ने सनसनीखेज खुलासे किये कि उसे अगवा कर लखनऊ में एक कमरे में बंधक बना कर रखा गया। ज्योति ने यह भी बताया कि विधायक योगेन्द्र सागर के अलावा और कई लोगों ने उसके  साथ बलात्कार किया। इस दौरान उसे नशे के इंजेक्शन व गोलियां भी दी गयीं। मुंह खोलने पर पूरे परिवार को खत्म करने की धमकी दी गयी। ज्योति ने यह भी बताया कि उसे बेच दिया गया था और मुजफ्फनगर से मुंबई पहुंचा कर विदेश भेजने का षड्यंत्र भी रच लिया गया था, पर दबाव के चलते मुजफ्फनगर से उसे पुलिस अपने साथ ले आई।
सीबीसीआईडी ने आरोपी विधायक योगेन्द्र सागर को दोष मुक्त करार दे दिया तो बिल्सी थाना पुलिस ने विधायक के रिश्तेदार तेजेन्द्र सागर व उसके दोस्त को भी बरी कर दिया। ज्योति के अपहरण का पूरा मामला ही पुलिस ने दबा दिया, जैसे कोई घटना ही नहीं हुई थी। ऐसे में ज्योति और उसके परिजनों के पास न्याय पाने का एक मात्र सहारा अदालत ही बची थी। ज्योति के पिता कुलदीप किशोर शर्मा ने अदालत का दरबाजा खटखटाया। लंबी सुनवाई व कागजी जांच पड़ताल के बाद अदालत ने बसपा विधायक योगेन्द्र सागर, रिश्तेदार तेजेन्द्र सागर व उसके दोस्त को दोषी मानते हुए अपना पक्ष रखने के लिए तलब कर लिया। विधायक पक्ष अदालत में अपील दर अपील कर रहा है। मामला विचाराधीन है और आरोपी विधायक स्टे के चलते गिरफ्तारी से बचा हुआ है, लेकिन इस बीच विधायक को यह डर सताने लगा कि उसे एक दिन जेल जाना ही पड़ेगा, तो फैसला न करने पर ज्योति के परिवार पर कहर ढाने लगा। ज्योति के दोनों भाईयों पर भी ठीक वैसा ही एक लडक़ी के अपहरण का मामला दर्ज करा दिया, जबकि सामान्य सी बात है कि एक ही लडक़ी को दो सगे भाई नहीं उठा सकते और न ही उसके साथ दुष्कर्म कर सकते हैं, पर मुकदमा लिखा कर विधायक पक्ष पीडि़त परिवार को तोडऩे का प्रयास कर रहा था। चेतावनी भी दी थी कि अगर फैसला नहीं किया तो मुकदमे में ज्योति के पिता व मुकदमे के गवाहों को भी इसी तरह फंसवा देगा और हुआ भी वही। ज्योति के प्रकरण में पुलिस बचाने का प्रयास कर रही थी और उसके भाईयों पर लिखे मुकदमे में भाईयों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस लड़ाई में ज्योति का साथ देने वाले व गवाह पीसी शर्मा को जेल भेज दिया, पर सभी जमानत पर रिहा कर दिये। अब साफ हो गया है कि मामला फर्जी था कि सिम आदि फर्जी आईडी से ही खरीदे गये थे।
ज्योति की अब शादी हो चुकी है और एक बच्चे की मां भी है। सिर्फ एक घटना के कारण उसके सभी सपने टूट चुके हैं। पढ़-लिख कर कैरियर बनाने का इरादा वह त्याग चुकी है। उसके जीवन का सिर्फ एक ही लक्ष्य रह गया है कि बसपा विधायक योगेन्द्र सागर और उसके साथियों को सजा दिलाना। उसे इस लड़ाई में ससुराल पक्ष से भी पूरी मदद मिल रही है, लेकिन योगेन्द्र सागर की राजनीति में ऊंची और गहरी पैठ है। वह भाजपा सरकार में दर्जा राज्यमंत्री रह चुका है एवं उसी बिल्सी विधान सभा क्षेत्र से विधायक था, जहां से एक बार मायावती विधायक चुनी जा चुकी हैं। मायावती द्वारा छोड़ी सीट से विधायक होना व मायावती का स्वजातीय होना ही योगेन्द्र सागर के लिए वरदान साबित होता रहा है। वह खुद तो बचता ही रहा है, ज्योति व उसके परिवार को लगातार प्रताडि़त भी करता रहा है।
खैर, हर स्तर पर सरकार द्वारा विधायक योगेन्द्र सागर की मदद की गयी, जिससे उसका कुछ नहीं हुआ, लेकिन जनपद बदायूं के साथ रुहेलखंड का ब्राह्मण बसपा से किनारा गया। यह जानकारी बसपा हाईकमान को चुनाव के दौरान हुई तो योगेन्द्र सागर का बिसौली से टिकट काट दिया। टिकट कटने के कारण योगेन्द्र सागर मछली की तरह तड़पने लगे और विभिन्न राजनीतिक दलों के दरबाजे खटखटाये, पर ब्राह्मणों के विरोधी को सभी ने अपनाने से मना कर दिया। अंत में बसपा ने ही शरण में ले लिये। बसपा के रणनीतिकारों ने ब्राह्मण विरोध के चलते नया तरीका इजाद किया है। योगेन्द्र सागर की जगह पत्नी प्रीती सागर को टिकट दे दिया है, पर सवाल उठ रहा है कि पति के कारनामों की सजा पत्नी को जनता देगी या नहीं अथवा जनता सब कुछ भूल कर पत्नी को पसंद करेगी?
खैर, फिलहाल सवाल का जवाब भविष्य के गर्भ में ही छिपा है और जवाब भी समय आने पर ही मिलेगा।