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मैं उसका अंश हूँ, बस यही पहचान है मेरी...

Friday, 3 February 2012

बंद करने होंगे हजार और पांच सौ के नोट

विदेशी बैंकों में जमा भारतीय मुद्रा को काला धन बता कर कई लोग देश-विदेश में ख्याति पा चुके हैं, तो कई काले धन के मुद्दे पर आम आदमी का दिल जीत चुके हैं, लेकिन भारत में ही कैद काले धन के बारे में कोई चर्चा तक नहीं करता, जबकि विदेशों से अधिक काला धन देश में ही कैद है, जिसके बाहर निकलने से आर्थिक व्यवस्था पटरी पर आ सकती है।
काले धन का मुद्दा बाबा रामदेव ने जोरदार ढंग से उठाया था। स्रोत या तथ्यों का खुलासा नहीं किया, पर वह विदेशों में जमा काले धन का जोड़ भी बता रहे थे और काला धन आने पर प्रति व्यक्ति की जेब में कितने रुपये आ जायेंगे? यह भी अपने अंदाज में बेहतर ढंग से बता रहे है, उनका अंदाज आम आदमी को बेहद भा रहा था। एक बार तो आम आदमी की आंखों में चमक भी आ गयी कि बिना कुछ किये ही वह मालामाल हो जायेंगे, इसीलिए अधिकांश लोग काला धन लाने के पक्ष में लामबंद होते चले गये। अपरोक्ष रूप से बाबा रामदेव को जो भी लाभ होता, पर परोक्ष रूप से देश को ही लाभ होने वाला था, लेकिन कांग्रेस ने कूटनीति के तरकश से ऐसे ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया कि बाबा रामदेव के सम्मान के साथ उनका उठाया मुद्दा भी खत्म हो गया। खैर, बाबा रामदेव और उनके मुद्दे का जो हुआ, पर मूल विषय यह है कि देश के अंदर जमा काले धन की बात उन्होंने भी नहीं उठाई, जबकि देश के अंदर कैद काले धन के जोड़ का अनुमान लगा पाना भी नामुमकिन है, क्योंकि देश के अंदर बाबुओं के बॉथरूम से करोड़ों निकल आते हैं। हसन अलिओं के अस्तबल से खरबों निकल आते हैं, पोंटी चढ्ढाओं की तिजोरियों से अरबों निकल आते हैं और बाबू सिंह कुशवाह जैसे अरबों का घोटाला करने के बाद भी डकार तक नहीं लेते, इन सबका भले ही खुलासा हो गया है, पर वास्तव में देश का हर कोना ए. राजाओं और सुरेश कलमाडिय़ों से भरा पड़ा है, जिनकी कोई चर्चा तक नहीं करता, क्योंकि वह समान रूप से सभी को गिफ्ट देते हैं, वह चुनाव में सभी को समान रूप से चंदा देते हैं, वह सभी के सामने समान रूप से नतमस्तक होते हैं।
देश के अंदर कैद काले धन की चर्चा न करने के पीछे प्रमुख कारण यह भी है कि विदेश में जमा धन कुछ हजार लोगों का ही है और कुछ हजार लोगों का इतना दबाव है कि सरकार इस मुद्दे पर मुंह खोलने से पहले कई बार सोचती है, जबकि देश के अंदर जमा काला धन लाखों लोगों का है, ऐसे में जो सरकार हजारों लोगों का सामना नहीं कर पा रही है, वह लाखों लोगों का खुलासा कैसे कर सकती है?
सरकार अगर चाहे तो देश के अंदर कैद काला धन एक झटके में बाहर आ सकता है। सरकार को बहुत कुछ करना भी नहीं है। बस, हजार और पांच सौ रुपये के नोट झटके से बंद कर देने हैं, क्योंकि भ्रष्टाचारियों की कैद में हजार और पांच सौ के नोट ही हैं। बड़े नोट बंद कर दिये जायें, तो कैद ही रह जायेंगे, वरना वापस करते समय सब पकड़ में आ ही जायेंगे, पर सरकार से ऐसा निर्णय लेने की भी अपेक्षा कम ही है, क्योंकि सरकार के लिए ही नहीं, बल्कि अधिकांश राजनैतिक दलों के लिए काली पूंजी वाले दुधारू गाय से कम नहीं है और दूध देने वाली गाय की लातें सहने की भी परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है।