Thursday 31 May 2012
डीपी यादव: एक शातिर दिमाग इंसान
यदु शुगर मिल की स्थापना करने के बाद डीपी यादव जनता के सामने सीना तान कर ऐसे भाषण देते हैं, जैसे उनसे बड़ा जनता का हितैषी धरती पर अभी तक पैदा ही नहीं हुआ है, लेकिन यह जान कर आप दंग रह जायेंगे कि डीपी यादव ने मिल की स्थापना धोखे से हथियाई गयी जमीन पर की है। पहले उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों के साथ अपने यहां काम करने वाले गुलाम रूपी नौकरों के नाम पट्टे आबंटित कराये और बाद में सभी पट्टों का श्रेणी परिवर्तन करा कर यदु शुगर मिल के नाम बैनामा करा लिया, जबकि नियमानुसार ऐसा नहीं कर सकते। कानून के जानकारों का कहना है कि पट्टे जिस उद्देश्य से दिये गये हैं, वह उद्देश्य पट्टाधारक पूरा नहीं कर रहा है, तो पट्टे नियमानुसार निरस्त कर दिये जाने चाहिए, साथ ही पट्टे गलत सूचना के आधार पर जारी किये हैं, क्योंकि समस्त पट्टाधारक पहले से ही धनाढ्य हैं और बड़े शहरों में निवास करते हैं, लेकिन सभी को बिसौली तहसील क्षेत्र के गांव सुजानपुर का निवासी दर्शाया गया है। इसके अलावा संबंधित जमीन खार के रूप में दर्ज है, जिसका पट्टा ही नहीं किया जा सकता।
डीपी यादव द्वारा कराये गये फर्जी पट्टे वर्ष 1991 के बताये जाते हैं, लेकिन वर्षों तक इस बात को जानबूझ कर दबाया गया, क्योंकि सात वर्षों के बाद पट्टों का श्रेणी परिवर्तन कराया जा सकता है। श्रेणी परिवर्तन के बाद फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। इसके बाद मामला शासन-प्रशासन के संज्ञान में आया, तो छानबीन की गयी, लेकिन पट्टों से संबंधित कोई रिकॉर्ड कहीं नहीं मिला। राजस्व अभिलेखागार की ओर से 3० मई 2०11 को स्पष्ट रिपोर्ट लगाई गयी कि पट्टों से संबंधित कोई रिकॉर्ड उसके पास नहीं है। आश्चर्य की बात तो यह है कि अब फाइल प्रकट हो गयी है और इससे भी बड़े आश्चर्य की बात यह है कि संबंधित लेखपाल और तहसीलदार जीवित ही नहीं हैं, वहीं संबंधित एसडीएम सेवानिवृत हो गये हैं।
सूत्रों का कहना है कि डीपी यादव ने सेटिंग के चलते फर्जी पत्रावली तैयार कराई है। लेखपाल रमेश और तहसीलदार चिंतामणी के कार्यकाल के पट्टे दर्शाये गये हैं, जिनका निधन हो चुका है, ऐसे में वह आकर गवाही नहीं दे सकते, साथ ही एसडीएम रामदीन सरल हस्ताक्षर करते थे, उनके हस्ताक्षर फर्जी बनाये गये हैं। उक्त प्रकरण में शिकायत पर पिछले दिनों बसपा सरकार ने कार्रवाई के निर्देश भी दिये थे, लेकिन तत्कालीन डीएम अमित गुप्ता एवं एडीएम प्रशासन मनोज कुमार ने रुचि नहीं ली। सूत्रों का यह भी कहना है कि तहसील के अन्य स्टाफ के साथ एसडीएम बिसौली आर्थिक समझौते के चलते डीपी यादव को बचाने का शुरू से ही प्रयास कर रहे हैं, जिससे फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बावजूद डीपी यादव के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हो पा रही है, लेकिन इस सबसे यह तो साफ हो ही गया है कि डीपी यादव ने जनता की जमीन हथिया कर और जनता को लूटने के लिए ही यदु शुगर मिल की स्थापना की है।
पट्टेधारकों के नाम की सूची
(सूची में डीपी यादव के दोनों बेटों के साथ उनके परिवार के अन्य सदस्यों, प्रतिनिधियों और नौकरों के ही नाम हैं, साथ ही पट्टाधारक छोटे बेटे कुनाल को मिल का डायरेक्टर बनाया गया है )
1- संजीव कुमार
2- जयप्रकाश
3- सत्यपाल
4- देवेन्द्र
5- राकेश
6- लोकेश
7- नरेश कुमार
8- विजय
9- जितेन्द्र
1०- सत्तार
11- सतेन्द्र
12-विक्रांत
13- बीना
14- सरिता
15- विजय कुमार
16- मंजीद
17- विकास
18- कुनाल
19- रमेश
2०- राजेन्द्र
21- नरेश
22- भूदेव
23- नवरत्न
24- दीपक
25- विवेक पुत्र श्री कमल राज
26- भारत
27- पवन
28- विजय
29- विवेक पुत्र श्री मदन लाल
3०- अरुण
31- मनोज
32- धर्मेन्द्र
33- अभिषेक
(उक्त रिपोर्ट गौतम संदेश में प्रकाशित हो चुकी है।)