My photo
मैं उसका अंश हूँ, बस यही पहचान है मेरी...

Saturday 8 September 2012

मुझे मिटाने वालों की हसरत कभी पूरी नहीं होगी

चारों ओर स्वर्गीय चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की तूती बोल रही थी, उनके आह्वान पर जनता दल की सरकार बन गई, घटना उस समय की है, जब भारतीय किसान यूनियन और उसके कार्यकर्ता से शासन-प्रशासन में बैठे लोग दहशत खाते थे, एफएसएस पर कोई नया एमडी आया था, जो गेहूं बुआई की खाद बाँटते समय प्रति किसान को पांच किग्रा प्रति कट्टा मक्के का बीज भी दे रहा था, मक्के का बीज किसानों के लिए निरर्थक था, विरोध करने पर दबंग एमडी ने सभी को लताड़ दिया, उनमें से कुछ किसान पापा के पास आ गये और उन्हें पूरी समस्या बताई, पापा ने लड़के से कह कर लेटर पैड लिखा दिया, जो किसानों ने जाकर एमडी को दिया, तो एमडी ने उसे नहीं माना, किसान पुनः पापा के पास आ गये, दो एमडी ने कही होंगी, तीन बातें और मिला कर किसानों ने पापा से आकर कह दीं, साथ में फटे लेटर पैड के टुकड़े भी दे दिए, यह सुन व देख कर पापा उठ लिए, उनके पास बीस-पच्चीस लोग बैठे थे, वो भी साथ हो लिए, पापा ने मेरे जन्म से ही पहले तीन विषयों में एमए कर लिया था, यह सब उनके व्यक्तित्व में दिखता है, उनके बात करने का अंदाज़ बेहद शालीन रहता है, उनका किसी से झगडा नहीं होता, लेकिन वह एमडी कुछ ज्यादा ही दबंगई में था, सो वहां नोंकझोंक शुरू हो गई, साथ गये लोगों को बुरा लगा, उन्होंने एमडी को पीटना शुरू कर दिया, मैं लड़कों के साथ वालीबाल खेल रहा था, भागते हुए आये एक लड़के ने संक्षेप में घटना बताई, मैं सुनते ही दौड़ लिया, फील्ड में उस समय करीब पचास लड़के थे, वह भी मेरे पीछे भाग लिए, मौके पर जाकर देखा तो भीड़ एमडी को पीट रही थी, हमारे पहुँचने के बाद उस एमडी ने जान की भीख मांगी, पापा ने ही उसे छुडवा दिया, अगले दिन पूरे जिले की हड़ताल हो गई, पंद्रह दिनों के बाद आईजी ने आकर पापा को नामजद करते हुए दो सौ अज्ञात लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करा दिया, उस एमडी का नाम पुष्पेन्द्र पाल सिंह था और उस समय के जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष हरपाल सिंह का भतीजा था, वह हर स्तर से शासन-प्रशासन पर दबाव बना रहा था, मुकदमा दर्ज होने के बाद पापा भी हजारों लोगों के साथ धरने पर बैठ गये, आईजी ने पुनः आकर पापा की ओर से भी नामजद मुकदमा दर्ज कर लिया, अब एमडी के पक्ष में मुकदमा वापस लेने व पापा की गिरफ्तारी को लेकर विभाग की समूचे उत्तर प्रदेश में हड़ताल हो गई, इधर पापा के साथ धरने पर लोगों की संख्या लगातार बढती जा रही थी, शासन-प्रशासन की चिंता बढती जा रही थी, क्या, क्यूं, कैसे और कहाँ क्या हो रहा है, मुझे कुछ नहीं पता, मैं अपनी मस्ती में मस्त था, क्योंकि मैं तो ह्रदय से पापा की इस समाज सेवा से दुखी और परेशान था, लेकिन अट्ठाईस वें दिन सूचना आई कि पापा ने गिरफ्तारी दे दी है, तो उठा के बुलेट मैं भी पहुँच गया, मुझे देखते ही भीड़ ने मुझे नेता बना दिया, मैं कह रहा था कि तुम लोगों को मजा आ रहा है, यह सब मुझ से नहीं होगा, लेकिन जिंदाबाद और मुर्दाबाद के बीच मेरी किसी ने नहीं सुनी, सोचा, अब इनके अनुसार करना ही होगा, मैंने भीड़ को शांत किया और कहा कि क्या कर सकते हो, सभी बोले, आप कहो, वो सब, मैंने कहा तो उठो, चलो, जहां विभागीय अधिकारी-कर्मचारी धरने पर बैठे थे, मैं भीड़ के साथ वहां पहुँच गया, भीड़ ने घेर-घेर कर और दौड़ा-दौड़ा कर सब को मारा, एक मिनट में धरना-वरना सब ख़त्म हो गया, लेकिन शासन तक हाहाकार मच गया, उसी भीड़ के साथ मैं थाने आ गया, पुलिस थाना छोड़ कर भाग गई, आईजी फिर आ गये, एडीजी गृह भी आने को चल दिए, एक आफीसर मेरे पास आया कि कि आईजी साहब आपसे बात करना चाहते हैं, मैंने कहा कि उनकी अटक रही हो, तो यहीं आकर बात करें, वरना गोली चला दें, तमाम प्रयासों के बावजूद मैं नहीं गया, तो आईजी ही आये, उन्होंने मुझे देखा, उस समय लड़कियों जैसा चेहरा था, मासूमियत झलकती थी, मुस्करारते हुए बोले, किसान नेता हो, तो पहले यह बताओ कि हल सेहा हो जाए, तो कैसे सही होगा, मैंने कहा अभी कुछ देर पहले ही नेता बना हूँ और यह सब ख़त्म होने के बाद फिर इस्तीफा दे दूंगा, वह जोर से हंस दिए, प्रभावित भी हो गये, फिर पूछा क्या चाहते हो? मैंने कहा कि एमडी चोर है, लेकिन उसके विरुद्ध कार्रवाई करने की बजाये, आप लोग मेरे पापा को ही निशाना बना रहे हैं, यह सब नहीं चलेगा, उन्होंने फर्जी धाराएँ ख़त्म करा दीं, तब मैं भी मान गया, इसी तरह एक घटना और याद आ रही है, उस समय कच्छा-बनियान गिरोह का आतंक था, बाजरा, ईख और मक्के की फसल से जंगल भरा था, इन दिनों में बदमाशों की आवाजाही बढ ही जाती है, रात के ग्यारह बजे तक गप्पें मारने का सिलसिला वर्षों से चला आ रहा था, दस बजे के करीब मैं दोस्तों के साथ बैठा गप्पें ही मार रहा था, तभी गाँव की उत्तरी दिशा से शोर सुनाई दिया, जो थोड़ी ही देर में पूरे गाँव में होने लगा, दिवाली से भी अधिक फायरिंग होने लगी, मैं दोस्तों के साथ उठ कर कमरे में बैठ गया, आधा घंटे बाद सायरनों की आवाजें आईं, तो मैंने दोस्तों से कहा कि अब देखते हैं चलो, सभी चल दिए, अँधेरे में तीस-पैंतीस पीएसी के जवानों से घिरा हुआ एक आदमी नज़र आया, उसके हाथ पीछे को रस्सी से बंधे हुए थे, नजदीक आ कर देखा, तो वह गाँव का ही एक गरीब ब्राह्मण था, जमीन वगैरह नहीं थी, बस स्टेंड पर समोसे बेच कर किसी तरह परिवार को पाल रहा था, स्वभाव से भी बेहद सरल है, उसे पुलिस के चंगुल में देखते ही मेरा पारा चढ़ गया, पुलिस वाले तेजी से उसे ले जा रहे थे, मुश्किल से एक-दो मिनट में फैसला करना था, मैंने जोर से आवाज लगा दी, रुको, पुलिस अफसर एक आवाज पर ही रुक गया, कौन है, मैं कुछ कहता, तब तक भीड़ में से ही कई लोग बोल पड़े कि पत्रकार भाई साहब हैं, यह सुन कर उस अफसर का लहजा बदल गया, वह एसओ था और उसने उसी दिन कार्यभार गृहण किया था, वरना जानता ही होता, मैंने कहा कि इस वन्दे को क्यूं ले जा रहे हो? बोला- पूंछताछ के लिए, मैंने कहा कि कैसी पूंछताछ? वह बोला- मैं यह सब यहाँ नहीं बता सकता, सुबह को थाने आ जाना, मैंने कहा कि पूरी बात बताये बिना आप इसे ले ही नहीं जा सकते, बोला- कौन रोकेगा मुझे? मैंने कहा- मैं, इतने पर वो अपने सिपाहियों से बोला, चलो, उनका कदम बढता, तब तक मैंने कह दिया कि पकड़ लो, मौके पर हजार से अधिक लोग थे, चारों तरफ से घेर लिए, सब कांपने लगे, मैंने कहा कि आपको बात बताने के बाद ही जाने दिया जाएगा, हम लोग बदमाश नहीं हैं, सभ्रांत लोग हैं, लेकिन यह तो पूंछ ही सकते हैं कि इसे क्यूं पकड़ कर ले जा रहे हो? अब एसओ समझ गया कि बताना ही होगा, बोला- मैं पूरे गाँव में पूंछताछ करते हुए आ रहा हूँ, लेकिन कोई कुछ बताने को ही तैयार नहीं है कि क्या हुआ? हर कोई यह कह देता है कि पहली आवाज उधर से आई, पूंछते-पूंछते मैं इसके घर पहुँच गया, सब से पहले यही चीखा था, कह रहा है कि छत पर कोई था, जो इसके देखते ही कूद कर भाग गया, इसने ही पूरे गाँव में बवाल करा दिया और इसी की वजह से मुझे भागना पडा, मैं समझ गया कि यह एसओ थाने ले जाकर इस गरीब को तोड़ देगा, छोटी-मोटी धारा में जेल भी भेज देगा, यह बर्बाद तो है ही और हो जाएगा, तत्काल दिमाग में एक बात आ गई, मैंने कहा कि इसने किसी को देखा और यह चीख पडा, इसकी चीख पर बाक़ी सब भी शोर करने लगे, लेकिन इसने आपको शिकायत की, जो झूंठी पाए जाने पर आप  इसके विरुद्ध कार्रवाई करोगे, बोला- नहीं, मैंने कहा कि आपको किसने सूचना दी, बोला- किसी ने फोन किया था, मैंने कहा कि आपको परेशान फोन करने वाले ने किया है, उसे पकड़ो, इस व्यक्ति ने गाँव वालों को परेशान नहीं किया, बल्कि मस्ती कराई है, इसका हमारी नज़रों में कोई दोष नहीं है, इस बात पर नोंकझोंक जमकर हुई, भीड़ बोली- भैया, अब बात से काम नहीं चलेगा, हालात बिगड़ते देख, पुलिस उसे छोड़ गई, उस गरीब के तो मजे आया गये, लेकिन एसओ ने सिपाहियों से कहा कि इस के विरुद्ध कौन बोल सकता है, उसे मेरे पास लेकर आओ, पिछ्ला चुनाव हारने वाला एक वंदा उसने तैयार कर लिया, एसओ किसी से खुद कहे तो कोई भी तैयार हो ही जाएगा, एसओ ने उस व्यक्ति की एमओआसी से बात कराई, पच्चीस हजार रूपये में उसने ब्लेड से उसके सीने पर हल्का सा कट मार कर ३०७ की मेडिकल रिपोर्ट बना दी, तत्काल रिपोर्ट दर्ज हो गई, लेकिन उसकी गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं हुई, सुबह मुझे पता चला, जिसे मेरे विरुद्ध एसओ ने खडा कर लिया था, वो आदमी झोलाझाप डाक्टर था, मैं सीधे सीएमओ के पास आया और कहा कि इसे तत्काल पकड़ो और मुकदमा लिखाओ, सीएमओ बोला, मैं आदेश कर देता हूँ, बाकी काम एमओआईसी करा देगा, मुझे तत्काल हिसाब चुकता करना था, सो सीएमओ से साफ़ कह दिया कि अपनी इज्जत प्यारी है या नहीं, मेरे हाव-भाव उसकी समझ में आ गये, दो घंटे के अन्दर वो आदमी क़ानून के शिकंजे में था, एक थैला एक्सपायरी दवाएं पकड़ी गईं, मुकदमा लिखा गया, जेल गया, पांच महीने में हाईकोर्ट से जमानत हुई, उसका सब कुछ तबाह हो गया, जेल से आया तो मैंने कहा कि करेगा क्या? यही दुकान चलाएगा तो फिर जेल जाएगा, तो उसने कोर्ट में आकर मुकदमा वापस ले लिया, उक्त घटनाएँ तब की हैं, जब दूध के  दांत नहीं उखड़े थे, इसके बाद भी ऎसी ही जीवन में तमाम घटनाएं घटी हैं, आईएएस और आईपीएस के साथ तमाम मंत्रियों और विधायकों से लफड़े हुए हैं, जिनका मैं आगे उल्लेख करूंगा, इन लफड़ों से मुझे किसी न किसी रूप में हमेशा ही कुछ न कुछ हानि भी हुई है, लेकिन मुझे पता है, मैं अब भी नहीं सुधरने वाला, ऐसा ही रहूँगा, पापा से मैंने यही सीखा कि पूजा-अर्चना करो या मत करो, पर गलत मत देखो, गरीब और पीड़ित का साथ दो, उनका यह मन्त्र ही मुझे बार-बार बर्बाद कर रहा है, मुझे भी अब बर्बाद होने में मजा आने लगा है ........ एक ख़ास बात बताऊँ, मैं कोई शहंशाह नहीं हूँ और न ही कोई अदृश्य शक्ति मिली हुई है, असलियत में मुझे अच्छी तरह पता होता है कि मैं अपनी जगह सही हूँ, तो दुनिया में मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, इसी लिए मुझे मिटाने वालों की हसरत कभी पूरी नहीं होगी,